पेश है एक मजेदार किस्सा !
एक बार की बात है कि गुप्ताजी, एक बनिये के यहां शादी में गए।
शादी का पंडाल बड़ा भव्य था और उसमें अंदर जाने के लिए 2 दरवाजे थे।
एक दरवाजे पर रिश्तेदार, दूसरे पर दोस्त लिखा था।
गुप्ताजी, बड़े फख्र से दोस्त वाले दरवाजे से अंदर गए।
आगे फिर 2 दरवाजे थे :-
एक पर महिला, दूसरे पर पुरुष लिखा था।
गुप्ताजी पुरुष वाले दरवाजे से अंदर गए।
वहां भी 2 दरवाजे और थे:-
एक पर गिफ्ट देने वाला,दूसरे पर बिना गिफ्ट वाले लिखा था।
गुप्ताजी को हर बार अपनी मर्जी के दरवाजे से अंदर जाने में बड़ा मजा आ रहा था।
उसने ऐसा इंतजाम पहली बार देखा था |
गुप्ताजी बिना-गिफ्टवाले दरवाजे से अंदर चले गए।
जब अंदर जाकर देखा तो गुप्ताजी बाहर गली में खड़े थे।
और वहॉ लिखा था :-
शर्म तो आ नहीं रही होगी,बनिये की शादी और मुफ्त में रोटी खायेगा !
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