इंटरनेट पर हमारी पर्सनल इनफार्मेशन, फोटोज और तमाम ऐसी चीज़ें मौजूद हैं जो हम किसी के साथ शेयर करना नहीं चाहते। यहाँ तक कि सरकारी डेटा, एकाउंट्स की इन्फॉर्मेशन और बहुत सारा सीक्रेट डाटा भी इंटरनेट पर संभालकर रखा गया है। इन चीज़ों को लेकर मेरे मन में तरह-तरह के सवाल मंडराते रहते हैं। पहला और सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर इंटरनेट का मालिक कौन है? और दूसरा कि अगर कोई इंटरनेट का मालिक है तो वह कितना अमीर होगा। क्योंकि हम इंटरनेट के लिए एयरटेल, आईडिया, रिलायंस जैसी कम्पनीज को पैसे देते हैं और ये कम्पनीज कितनी अमीर हैं ये तो हम बहुत अच्छे से जानते हैं। तो फिर ये कम्पनीज इंटरनेट खरीदने के लिए जिसे पैसे देती होंगी वो कितना अमीर होगा?



इन सवालों ने मुझे मजबूर कर दिया कि मैं इसकी तह तक जाऊं और इन सवालों के जवाब ढूँढूँ।

इंटरनेट की तह तक जाना तो मुमकिन नहीं हो पाया, लेकिन मुझे मेरे सवालों के जवाब जरूर मिल गए। इसलिए इन्हें आपके साथ भी शेयर कर रहा हूँ ताकि आप भी अपनी जिज्ञासा को शांत कर पाएं।

वेबसाइट के सर्वर से जुड़ने के लिए देने पड़ते हैं पैसे :-

मान लीजिये आप किसी वेबसाइट पर कोई वीडियो देख रहे हैं। आपको दिखाई देने वाला यह वीडियो हज़ारों किलोमीटर दूर रखे वेबसाइट के सर्वर से आपके मोबाइल या कंप्यूटर तक पहुँचता है l वेबसाइट के सर्वर और आपके डिवाइस के बीच जो कनेक्शन बनता है इसी कनेक्शन के आपको पैसे देने पड़ते हैं।

किसके पास जाते हैं ये पैसे ? :-

हम इंटरनेट के लिए पैसे आईडिया और एयरटेल जैसी नेशनल कम्पनीज़ को देते हैं। ये नेशनल कम्पनी इन्टरनेट के लिए इंटरनेशनल कम्पनीज को पैसे देती हैं।

ये कम्पनीज़ करती हैं एक देश को दूसरे देश से कनेक्ट :-
ये कम्पनीज़ समुद्र में ऑप्टिकल फाइबर बिछाकर एक देश को दूसरे देश से कनेक्ट करती हैं।

कोई एक व्यक्ति नहीं है इंटरनेट का मालिक :-
अगर आप इंटरनेट के मालिक को ढूंढ रहे हैं तो अफ़सोस आपको मायूसी ही हाथ लगेगी। क्योंकि कोई एक व्यक्ति इंटरनेट का मालिक नहीं है।

कई लोगों का है इसमें सहयोग :-

अब आप सोच रहे होंगे कि अगर कोई मालिक नहीं है तो फिर ये चलता कैसे है? तो मैं आपको बता देता हूँ कि इंटरनेट की उत्पत्ति और उसमें होने वाली सभी खोजों के लिए देशों की सरकारों से लेकर निजी क्षेत्र, इंजीनियर्स, सिविल सोसाइटी के लोगों के अलावा और भी कई क्षेत्रों का सहयोग होता है।

इंटरनेट पर माना जाता है अमेरिका का दबदबा :-
वेबसाइट एड्रेस (इंटरनेट डोमेन) जारी करने वाली संस्था, आईकैन (इंटरनेट कॉरपोरेशन फॉर असाइंड नेम्स एंड नंबर्स) जैसी इंटरनेट की मूलभूत कंपनियां अमेरिका में स्थित हैं, जिस वजह से इंटरनेट पर अमेरिका का दबदबा माना जाता है।

इंटरनेट को एकाधिकार की स्थिति से बचाने की कोशिश की जा रही है :-

इंटरनेट को एकाधिकार की स्थिति से बचाने के लिए इसे संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में लाए जाने की कोशिश की जा रही है।

देश कर रहे हैं इसे सरकार के नियंत्रण में रखने की मांग :-

इंटरनेट की दुनिया इतनी बड़ी है कि इसके बारे में पूरी तरह से जानने में न जाने कितना समय लग जाएगा। उम्मीद करता हूँ इस आर्टिकल ने आपकी जिज्ञासा को कुछ हद तक तो शांत कर दिया होगा। आपके फ्रेंड्स भी अपनी जिज्ञासा को शांत कर पाएं इसलिए इसे उनके साथ शेयर करना न भूलें।

 

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