हैंडसम अभिनेता विनोद खन्ना का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को मुंबई में निधन हो गया. वो कैंसर से जूझ रहे थे।



गुरदासपुर से सांसद विनोद खन्ना की फिल्म 'एक थी रानी ऐसी भी' छह दिनों पहले रिलीज हुई थी. यह फिल्म भाजपा की संस्थापक सदस्य और मध्यप्रदेश की दिवंगत नेता विजयाराजे सिंधिया की जीवनी पर आधारित थी. इसका ट्रेलर अमिताभ बच्चन ने लॉन्च किया था।

विनोद खन्ना कई दिनों से मुंबई के एच. एन. रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में एडमिट थे।

दिग्‍गज एक्‍टर विनोद खन्‍ना का निधन हो गया है. वह पिछले कुछ समय से कैंसर से जूझ रहे थे. विनोद खन्‍ना का 70 साल की उम्र में निधन हुआ है. फिल्‍मों से लेकर राजनीति, विनोद खन्‍ना काफी सक्रिय रहे थे. विनोद खन्ना का मुंबई के एचएन रिलायंस अस्पताल में इलाज चल रहा था. हाल ही में उनकी एक फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसके बाद उनके बेटे ने कहा था कि उनक तबियत अभी ठीक है. विनोद खन्‍ना भारतीय फिल्‍मों के दिग्‍गज अभिनेता रहे हैं. विनोद खन्ना के अस्‍पताल में भर्ती होने के बाद से ही उनके स्वास्थ्य के लिए पूरा हिंदी सिनेमा जगत दुआएं कर रहा था. सलमान खान आधी रात को विनोद खन्ना से मिलने सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल पहुंचे थे. सलमान खान पहले भी विनोद खन्ना के साथ कई फिल्में कर चुके हैं और उन्हें अपना लकी मैस्कट और मेंटर मानते रहे हैं. सलमान के अलावा महाराष्‍ट्र के सीएम देवेंद्र फड़णवीस भी उन्हें मिलने पहुंचे थे।

1987 से 1994 में विनोद खन्ना बॉलीवुड के सबसे मंहगे सितारों में से एक थे. अपने करियर की पीक पर होने के बावजूद विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री से सन्यास ले लिया और ओशो के अनुयायी बन गए. वह अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम जाते थे और इस हद ओशो से प्रभावित थे कि अपने कई शूटिंग शेड्यूल भी पुणे में ही रखवाए. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विनोद संन्यास लेकर अमेरिका चले गए और ओशो के साथ करीब 5 साल गुजारे. विनोद खन्ना ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 150 फिल्मों में अभिनय किया. उनके निभाए हर किरदार सिनेमा प्रेमियों के दिलों में ज़िंदा हैं।

विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर,1946 को पेशावर में हुआ था। उनका परिवार अगले साल 1947 में हुए विभाजन के बाद पेशावर से मुंबई आ गया था। उनके माता-पिता का नाम कमला और किशनचंद खन्ना था।

पढ़ाई  1960 के बाद की उनकी स्कूली शिक्षा नासिक के एक बोर्डिग स्कूल में हुई वहीं उन्होने सिद्धेहम कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया था।

करियर  उन्होंने अपने फ़िल्मी सफर की शुरूआत 1968 मे आई फिल्म "मन का मीत" से की जिसमें उन्होने एक खलनायक का अभिनय किया था। कई फिल्मों में उल्लेखनीय सहायक और खलनायक के किरदार निभाने के बाद 1971 में उनकी पहली सोलो हीरो वाली फिल्म हम तुम और वो आई। कुछ वर्ष के फिल्मी सन्यास, जिसके दौरान वे आचार्य रजनीश के अनुयायी बन गए थे, के बाद उन्होने अपनी दूसरी फिल्मी पारी भी सफलतापूर्वक खेली।

राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जीवन पर बनी फिल्म 'एक थी रानी ऐसी भी' फिल्म 21 अप्रैल को देश भर में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में अभिनेत्री एवं मथुरा लोकसभा सीट से भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने विजयाराजे की भूमिका निभाई है. उनके अलावा फिल्म में विनोद खन्ना, सचिन खेडेकर एवं राजेश शृंगारपुरे ने भी अहम किरदार अदा किया था. विजयाराजे भाजपा की संस्थापक सदस्यों में से एक थी. उनकी एक बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की मुख्यमंत्री हैं, जबकि दूसरी बेटी यशोधरा राजे मध्यप्रदेश में खेल एवं युवा कल्याण मंत्री हैं.

उल्लेखनीय है कि फिल्म 'एक थी रानी ऐसी भी' मृदुला सिन्हा की किताब राजपथ से लोकपथ पर आधारित है.

विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 पेशावर (पाकिस्तान) में हुआ। उनके पिता का टेक्सटाइल, डाई और केमिकल का बिजनेस था।

विनोद खन्ना पांच भाई बहनों में से एक हैं। उनके एक भाई और तीन बहने हैं। आजादी के समय हुए बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान से मुंबई आकर बस गया।
 विनोद बचपन में बेहद शर्मीले थे, स्कूल के दौरान उन्हें एक टीचर ने जबरदस्ती नाटक में उतार दिया और उन्हें अभिनय की कला पसंद आई। 

बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई के दौरान विनोद खन्ना ने 'सोलवां साल' और 'मुगल-ए-आज़म' जैसी फिल्में देखीं और इन फिल्मों ने उन पर गहरा असर छोड़ा। 

विनोद खन्ना के पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा फिल्मों में जाए। विनोद की जिद के आगे वे झुके और उन्होंने दो साल का समय विनोद को दिया। विनोद ने इन दो सालों में मेहनत कर फिल्म इंडस्ट्री में जगह बना ली। 

लम्बी बीमारी के बाद बॉलीवुड अभिनेता विनोद खन्ना का निधन हो गया. उन्होंने 141 फिल्मों में काम किया था. वो 70 साल के थे. वो अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में मंत्री भी बने थे. पिछले कुछ दिनों से मुंबई के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।

बता दें कि कुछ समय पहले उनकी एक तस्वीर पर सामने आई थी, जिसमें वे काफी कमजोर और बीमार नजर आ रहे थे. विनोद खन्ना ने बतौर विलेन फिल्म इंडस्ट्री में करियर की शुरुआत की थी. हालांकि एक समय वह ओशो से प्रभावित होकर संन्यास भी ले लिया था. बाद में उन्होंने फिर वापसी की।

बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने निधन पर दुख जताते हुए कहा, "हम काफी दुखी महसूस कर रहे हैं. हमें उनके ठीक होने की उम्मीद थी.' विनोद के साथ स्क्रीन शेयर कर चुके ऋषि कपूर ने अमर अकबर एंथोनी का पोस्टर शेयर करते हुए लिखा, 'हमेशा मिस करेंगे अमर'. बता दें कि फिल्म में विनोद ने अमर का रोल किया था।

विनोद की पहली शादी 1971 में गीतांजली से हुई थी. पहली शादी से दो बेटे राहुल खन्ना और अक्षय खन्ना हैं. ओशो के अनुनायी बनने के बाद परिवार से दूरी बन गई और उनकी पहली शादी टूट गई. फिर उन्होंने 1990 में कविता से शादी की. दूसरी शादी से उनके एक बेटा साक्षी और एक बेटी श्रद्धा हैं।

विनोद खन्ना के पिता का टेक्सटाइल, डाई और केमिकल का बिजनेस था।

बता दें, विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था. आजादी के समय हुए बंटवारे के बाद उनका परिवार पाकिस्तान से मुंबई आकर बस गया।

विनोद खन्ना के एक भाई और तीन बहनें हैं।

विनोद खन्ना बचपन में बेहद शर्मीले थे और जब वह स्कूल में पढ़ते थे, तो उन्हें एक टीचर ने जबरदस्ती नाटक में उतार दिया और तभी से उन्हें अभिनय करना अच्छा लगना लगा.

स्कूल में पढ़ाई के दौरान विनोद खन्ना ने 'सोहलवां साल' और 'मुग़ल-ए-आजम' जैसी फिल्में देखीं और इन फिल्मों ने उन पर गहरा असर छोड़ा।

विनोद खन्ना के पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा फिल्मों में जाए, लेकिन अंत में विनोद की ज़िद के आगे उनके पिता झुक गए और उन्होंने विनोद को दो साल का समय दिया. विनोद ने इन दो सालों में मेहनत कर फिल्म इंडस्ट्री में जगह बना ली।

बाते दें, सुपरस्टार राजेश खन्ना, विनोद खन्ना के बेहद पसंदीदा अभिनेताओं में एक थे।
विनोद खन्ना को सुनील दत्त ने साल 1968 में फिल्म 'मन का मीत' में विलेन के रूप में लॉन्च किया. दरअसल यह फिल्म सुनील दत्त ने अपने भाई को बतौर हीरो लॉन्च करने के लिए बनाई थी. वह तो पीछे रह गए, लेकिन विनोद ने फिल्म से अपनी अच्छी पहचान बना ली।

हीरो के रूप में स्थापित होने के पहले विनोद ने 'आन मिलो सजना', 'पूरब और पश्चिम', 'सच्चा झूठा' जैसी फिल्मों में सहायक या खलनायक के रूप में काम किया. गुलजार द्वारा निर्देशित 'मेरे अपने' (1971) से विनोद खन्ना को चर्चा मिली और बतौर नायक वे नजर आने लगे।

मल्टीस्टारर फिल्मों से विनोद को कभी परहेज नहीं रहा और उन्होंने उस दौर के सितारे अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, सुनील दत्त आदि के साथ कई फिल्में साथ में की।

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